Friday, July 22, 2011

khri -khari diggiraja


 खरी-खरी -    
        है कोई कांग्रेसहितैषी
   जो इसके मुंह पर टेप चिपकाए
      फिर आतंकी हमला | एक जगह नहीं तीन-तीन जगह पर | एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी कोई सुराग नहीं मगर कांग्रेस के भस्मासुर दिग्गी राजा को ऐसी मनहूस घड़ी में भी अपना मुख बन्द रखने की जरुरत महसूस नहीं हो रही है ,उनका मुख डायरिया नहीं थम रहा है | ऐसे नाजुक समय सोच समझ कर बोलने की जरुरत है | मगर मरने से पहले हेमन्त करकरे से यह शिकायत कि हिन्दू आतंकवादी उन को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं (किस टेलीफोन नं० से करकरे ने बात की यह वे नहीं बता पाये)| और न ये ही बता पाये कि करकरे ने इन्हें किस हैसियत (पद)के कारण यह सूचना दी | इससे पूर्व जिस बाठला हाउस में उत्तराखण्ड का एक तेजतर्रार अफसर शहीद हो चुका था उसे फर्जी एनकाउण्टर बताकर
विवाद खडा कर चुके दिग्गी अब पुनः हिन्दू आतन्कवाद का शोशा छोडकर तथा आर.एस.एस. को बम बनाने की फैक्ट्री बता कर पाकिस्तान का हित करने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं |
लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि जानबूझकर दिग्गी ये कह किस हैसियत से रहे हैं,क्या वे भारत सरकार के प्रवक्ता हैं,आई.एस. आई के भारत प्रमुख हैं ? या पार्टी के प्रवक्ता | अगर इन में से कुछ भी नहीं तो यह स्वंभू भस्मासुर ,दुर्वासा की भाषा बोल किस हैसियत से रहा है, अपने ऊलजलूल सम्भाषणों से अपनी पार्टी ,अपने आकाओं और देश को नुकसान पहुंचाने
वाला यह बेवकूफ आखिर किस का हित साधन करने के लिये जानबूझकर यह कर रहा है | इस समय जब जांच एजेन्सियो को सही दिशा देने की आवश्यकता है ऐसे में जांच की दिशा को भटकाने का प्रयास कितना घातक हो सकता है, क्षुद्र राजनैतिक मूल्यों के पोषक क्या जानें
| विपक्ष के जरा से सवाल पूछ लेने पर लाशों पर राजनीति करने का आरोप मढ देने वाले
कांग्रेसी प्रवक्ता पैरालाइज क्यों हो जाते हैं | समझ से परे है | इन तक तो ठीक कांग्रेस के
बडे नेता क्यों चुप हैं, क़्या वे भी पार्टी हित को राष्ट्र हित से बडा समझते हैं जो चुप हैं |
लेकिन वे यह क्यों भूल जाते हैं कि," ये जनता है ये सब जानती है "| वक्त पर मुहर लगाते
समय उसे यह सब याद आ गया तो? |
                           - डा. राज सक्सेना,
                     धनवर्षा,हनुमान मन्दिर खटीमा-२६२३०८ (उत्तराखण्ड)
                           मो- ९४१०७१८७७७