Saturday, August 27, 2011

अन्ना हज़ारे के सबक


      अन्ना हज़ारे के सबक
                  -डा.राज सक्सेना
      पिछ्ले पन्द्रह दिनों के घटनाक्रम जिसने
पूरे देश को मथ कर रख दिया है को  अनेक
विद्वान अपने-अपने दृष्टिकोण से समीक्षित करेंगे,
कुछ इसमें खूबियां निकालेंगे तो कुछ कमियां |
कुछ इसे मील का पत्थर साबित करेंगे  और -
कुछ संसदीय जड़ों पर कुठाराघात बतायेंगे |खैर्-
जाकी रही भावना जैसी |समीक्षा हम भी करें-
मगर लीक से हट कर |
     आइये हम समीक्षा करें इस ऐतिहासिक्-
आन्दोलन के माध्यम से एक साधारण ग्रामीण-
से देश के सबसे प्रिय जननायक के रूप में उभरे
अन्ना हज़ारे ने देश को लीक से हट कर  क्या
सीख दी है |
      इस दृटिकोण से समीक्षा के लिये पूरे
घटनाक्रम पर एक नज़र डालना आवश्यक है |
सोलह अगस्त से प्रारम्भ इस क्रान्ति की शुरु-
आत तभी से हो गई जब बिना कोई नियम
तोड़े अन्ना को मयूर विहार से गिरफ्तार  कर
पहले पुलिस मुख्यालय और फिर तिहाड़ जेल
ले जाया गया | दर असल यह केन्द्र और -
दिल्ली पुलिस की पहली गलती थी जो उनके
ताबूत की पहली कील साबित हुई | वह यह
भूल गये कि इस बार उनकी टक्कर पूरी तरह
ईमानदारी से निःस्वार्थ भाव से पूरी रणनीति
बना कर कुछ अनुशासित संस्थाओं की कमान
में,कुछ भारतीय नौकरशाहों की व्यवस्था सं-
चालन हेतु सर्वश्रेष्ठ ट्रेनिंग प्राप्त पूर्व नौकरशाहों
के पूर्ण समर्पित नेतृत्व में जो अपने समय -
मे अपनी कार्य़प्रणाली और निष्ठा के लिये -
सुप्रसिद्ध रहे हैं के नेतृत्व में अनुशासित भीड़
के लोग करेंगे जो कोई भी गलती न करने
की दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ इस रणक्षेत्र में कूदे
हैं |वह भी पूरी तैयारी के साथ | वे जानते-
थे कि इन मौकों पर बड़े आन्दोलनों मे क्या
गलतियां हुआ करती हैं | जिनका सरकारीतन्त्र
फायदा उठा कर बलप्रयोग कर आन्दोलन  की
कमर तोड़ने से नहीं चूकता |कुछ तो ऐसे मौके
न आने देने के कारण और कुछ केन्द्र सरकार
के मन्त्रियों और प्रवक्त्ताओं के सबकुछ पुलिस
पर थोप देने की कुटिल चालों से आहत पुलिस
द्वारा कोई भी ज्यादती न करने की नीति के -
चलते भीड़ पर बल प्रयोग न होने से जनता का
मनोबल कायम रहा | इस आन्दोलन ने भवि-
ष्य के जनान्दोलनों के लिये रणनीति और दिशा-
निर्देश दोनों निर्धारित करने का महत्वपूर्ण काम
किया है |
      दूसरा महत्वपूर्ण काम इस आन्दोलन के
माध्यम से यह हुआ है कि अन्ना और उनकी टीम्
बिशेष कर केजरीवाल ने तथाकथित महामहिम -
समझने वाले स्वंभू नेताओं को उनकी असलियत
और उनकी हैसियत बता कर उन्हें उनकी औकात
में ला दिया | उनकी पोलें खोलकर उन्हें बगलें-
झांकने को मजबूर कर दिया | कहावत है'चोर के
पांव कितने'सटीक दृष्टांतों और सजीव उदाहरणों ने
नेताओं को बिल से बाहर ही नहीं निकलने दिया |
फलस्वरुप वे झूठ का सहारा लेकर अपने ऊपर लगे
आरोपों का सशक्त और सटीक जवाब न दे सके |
       

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