Sunday, August 28, 2011

अरे-न्नाहज़ाजा


      दो- अरे-न्नाहज़ाजारी
       तुलसीदास जी ने रामचरित मानस
में कहा है-
'सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहहु मुनिनाथ |
 हानि लाभ जीवन मरन,जस अपजस विधि हाथ |
    सरल शब्दों में यह कहा जा सकता है
कि पुलिस और केन्द्र सरकार के हाथ बांधने
में अर्ध्ररात्रि मे बाबा राम देव के समर्थकों पर
और भ्रष्टाचार के ही मुद्दे पर भारतीय युवा-
मोर्चा पर निर्मम पुलिसिया अत्याचार की अप-
राध भावना का भी बहु त बड़ा हाथ था |खैर
इस प्रकरण से देश की युवा पीढ़ी ने गांधी युग
देख लिया | उन्हें प्रत्यक्ष दर्शन हो गया कि
गांधी जी ने अंग्रेजों जैसी सर्वशक्ति सम्पन्न -
सत्ता से आखिर कैसे छुड़ा लिया | जो भी हो
देश को आधुनिक गांधी मिल गया |जिसमें
भारत का युवावर्ग ही नहीं हर उम्र का नाग-
रिक अपना उज्जवल भविष्य देख रहा है |
इसे इस आन्दोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि
माना जाना चाहिये |
       इसी क्रम में यह भी कहा जाना
उचित होगा कि इस प्रकरण ने सत्तामद में
चूर कांग्रेसी मन्त्रियों और पार्टी प्रवक्ताओं को
भी अपने अहंकार के साथ भूलुण्ठित कर -
दिया यह भी इस वक्त की बहुत बड़ी आव-
श्यकता थी जिसका पूरा आन्नद भारतीय
जनता जो इनके अहंकार और ऊलजलूल
बकवासो से कुंठित थी को मनोरंजन के ही
अतिरिक्त बोनस के रूप में निःशुल्क प्राप्त
हुआ |कपिल सिब्बल,चिदम्बरम्,मनीष-
तिवारी और दिग्गी जैसे बड़बोले फिर से
वक्त जरूरत पर काम आने के लिये फ्री-
जर में डालदिये गये |

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