Friday, September 16, 2011


         समीक्षा-नया सवेरा
                    -डा.राज सक्सेना
        भगवन हमको ऐसा वर दो |
       जग के सारे सदगुण भर दो |
   से प्रारम्भ स्थापित बाल साहित्यकार त्रिलोकसिहं
ठकुरेला रचित बाल गीत संग्रह 'नया सवेरा' अपने
प्रारम्भ से ही सदगीतों की खान है | ठकुरेला जी पर
मां सरस्वती की भरपूर कृपा प्रतीत होती है तभी तो
उन्हें इतने बाल प्रिय गीत लिखने की अनुप्रेरणा उसने
उन्हें दी है | अच्छी सरस्वती वन्दना ने अन्य कवि-
ताओं का रस द्विगुणित कर दिया है | जागरण कवि-
ता बच्चों को आर्दश दिनचर्या की सीख देती है तो -
नया सवेरा लाना तुम समय के अतुल मूल्य का भान
कराती है |
       परम्परागत माध्यम से मीटी बोली का -
महत्व पद्यकथा के माध्यम से कुपात्र बन्दर को सीख
का दुष्परिणाम |जहां बच्चों के संज्ञान् में जीवन में
हितकारी सीख देती हैं वहीं अंत्रिक्ष की सैर,तित्ली,रेल
चिड़ियाघर ,पेड़ ,गुब्बारे जैसी रचनाएं बच्चों के सज्ञान
में पृकृति से परिचय और उनका महत्व लाती हैं |
       वर दो लड़ने जाऊंगा शौर्य और साहस का
प्रतीक है तो ह नन्हे बच्चे पापा मुझे पतंग दिला दो,
बाल मन को छूती रचनाएं हैं |साइकिल ,सपने,प्यारी
नानी ,पानी बच्चों को पसन्द आएं ऐसी रचनाएं है |
      भारत का सर्वांग सुन्दर वर्णन देश हमारा है तो
गाड़ी और बादल दृष्य सम्मिश्रण की अच्छी रचनाएं हैं |
      प्रेम सुधारस बरसायें जहां बालकों को प्रेम स्नेह
और भेदभाव मिटाने का संदेश देती है वही अंतिम कविता
नया वर्ष नई राह,नई चाह्,नई उमंग,नई तरंग ,नव -
प्रेम और नए स्नेह का पाठ बड़ी सरलता और सौम्यता
से पढाती हैं |
      कुल मिला कर नया सवेरा लीक पर होते हुये भी
लीक से हट कर बाल गीत संग्रह है | जिसका स्वागत -
बच्चों द्वारा अवश्य किया जाएगा ऐसा मुझे विश्वास है |
      एक सुन्दर बालगीत संग्रह के सृजन के लिये मैं
ठकुरेला जी को साधुवाद देता हूं | उनकी रचनाधर्मिता को
प्रणाम करता हूं |
             धनवर्षा,हनुमानमन्दिर,खटीमा-२६२३०८

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