Thursday, September 29, 2011

      राजनैतिक दोहे
              -डा.राजसक्सेना 
आज़ादी है मुल्क में,करता रह विस्फोट |
सत्ता को लाशें नहीं,गिनने हैं कुछ वोट |

कब्रगाह में हो गया,पूर्ण नगर तब्दील |
नेता मंचों पर खड़े, देते  रहे  दलील |

हर हत्या के बाद वे, ला कठोर प्रस्ताव |
राजधर्म का कर रहे,कितना सही निभाव |

आतंकी विस्फोट का, इतना हुआ प्रभाव |
वीर बनें, धीरज धरें, देते  रहे  सुझाव |

हिंसा,हत्या,सिसकियां,आंसू और आतंक |
सब का यही भविष्य है,राजा हो या रंक |

गोली,कर्फ्यू,लाठियां  और दंगों  के दृष्य |
लोकतंत्र का हो गया,निश्चित यही भविष्य |

हिंसा,भय,आतंक से,दिवस न खाली जाय |
चाकू,फरसे,खुखरियां, बने शांति   पर्याय |

अपनी रक्षा खुद करें,  कहते नेता   लोग |
हिंसक होती जा रही,इस युग की हर नस्ल |

सौदे, साज़िश-सैकड़ों, धमकी  और मलाल |
देकर अपने देश को,  सत्ता    रहे  संभाल |

जन विकास के खेल को,देखें होकर    मौन |
अंधों को टी.वी.मिलें, बहरे   पायें    फोन |

आज़ादी के बाद से, ऐसा    हुआ   विकास |
पहले जो था पास में, नहीं रहा कुछ   पास |  

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