Monday, October 3, 2011

dukhiyon par dayaa

      दुखियों पर दया
पशुओं पर दया नहीं जिसको,
वह पशुवत है इन्सान  नहीं |
अपनापन पशु से रखता हो, 
वह ही मानव, इंसान वही |

देकर दधीचि ने अस्थि-दान,
मानवकुल का कल्याण किया |
शिवि ने बहेलिये निष्ठुर  को,
खग रक्षा में निजमांस दिया |
जो काम और के आ  जाये,
लगता है तब भगवान वही |
अपनापन पशु से रखता हो, 
वह ही मानव, इंसान वही |

महाराज रन्तिदेव ने अपना, 
भोजन तक सबको दे डाला |
भगवान बुद्ध ने दुखहरण हेतु,
एक नया धर्म ही रच डाला |
सम्पूर्ण राज्य और वैभव का,
समझा कणभर भी मूल्य नहीं |
अपनापन पशु से रखता हो, 
वह ही मानव, इंसान वही |

ईसामसीह ने आगे बढ कर,
संदेश दिया था जनता  को |
तीर्थंकर महावीर श्री स्वामी ने,
था श्रेष्ठ कहा इस क्षमता को |
जितने भी महापुरुष जग के,
कहते  रहते थे बात  यही |
अपनापन पशु से रखता हो, 
वह ही मानव, इंसान वही |

गांधी ने इस युग में आकर, 
इस दया भाव को अपनाया |
आदर्श बने इस के कारण ,
जिसको जग भर ने अपनाया |
उन्नति का है यह मूलमंत्र ,
संशय इसमें है नहीं  कहीं |
अपनापन पशु से रखता हो, 
वह ही मानव, इंसान वही |  

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